' सफ़र '..... 'सफ़र '.... का मज़ा .

अरसे बाद बस से सफ़र का मौका मिला था . मै खुश भी बहुत था . मुझे जाना तो भिलाई था, पर मौसम की बेरुखी और दिनचर्या की थकान ने मुझे बस यात्रा करने मज़बूर कर दिया, सो मै दुर्ग जाने वाली एक मिनी बस में सवार हो गया . बस में कंडक्टर सीट भी भरी हुई थी. इसके ठीक पीछे की सीट में एक गोरा -चिट्टा लड़का अकेला बैठा था . वह हाफ पैंट टाईप कपड़ा पहन रखा था. मैने सीट की ओर इशारा करते हुए पूछा तो " एक और आ रहा है ." का ज़वाब मिला. मै दोनों ओर की सीट के बीच ऊपर की पाइप पकड़ खड़ा रहा. नए बस स्टेंड से निकली बस पुराना अस्पताल तिराहा, ईमाम चौक , स्टेशन चौक, पुराना बस स्टैंड चौक हो कर रायपुर नाके से आगे निकल गई. इस बीच जिसनें भी उस सीट बावत उसे पूछा, सबको वह " एक और आ रहा है " का ही जवाब देते रहा. डेंटल कालेज के पास हाथ के इशारे पर बस ...जैसे ही रुकी, एक कम वय की सुन्दर [आधे कपड़ों वाली] एक लकड़ी बस में सवार हुई. वह कुछ बोल पाती , इसके पहले ही वही लड़का अपनी सीट से खड़ा हो गया और " यहाँ बैठ जाइये " कह कर खिड़की की ओर इशारा किया. पूरी बस की उस एकमात्र सीट पर अब उस लड़की का कब्ज़ा हो चुका था. लड़की शरमाते जा रही थी, क्योंकि हाफ पैंट वाला लड़का खुसुर-फुसुर शुरू कर दिया था. ये नज़ारा { जिन्हें सीट नहीं मिली } वे सब ने देखा. लड़के की मक्कारी सब की समझ में आ गई. वह सभी से ये कहते रहा कि " कोई आ रहा है " लेकिन मामला कुछ और ही था. उस लड़के के शब्द पुर्लिंग से स्त्रीलिंग में तब्दील हो चुके थे. इसी बात की खुली चर्चा बस में खड़े लोगों के बीच शुरू हो गई. अंतत: धक्कम-पेल के मध्य मै गंतव्य तक पहुंचा. बस यात्रा को लेकर मेरी अनुमानित ख़ुशी पूरी तरह से काफूर हो चुकी थी. मेरी कल्पना में यह बिलकुल भी नहीं था कि हिंदी के मायने वाला ' सफ़र ' [बस का ] इंग्लिश मायने वाले ' सफ़र' में तब्दील हो जायेगा

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