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Showing posts from April, 2014

" हां भई... चल रही लहर है....!!! "

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लोग कहते हैं, देश मे लहर चल रही है.... अरे तो किसे इंकार है भाई... लहर तो चल ही रही है, पेट्रोल-डीज़ल के दाम लहरा-लहरा के बेतहाशा बढ़ने की... कमरतोड़ महंगाई की... खाली हाथों को काम न मिलने की... पीने के साफ पानी की... रसोई गैस के दाम बढ़ने और किल्लत की... घपलों-घोटालों और भ्रष्टाचार की... या फ़िर रोज बह रहे बेगुनाहों के खून की नदियों की ही क्यों न हो आखिर चल तो लहर ही रही है! कहते हैं, लहरें आवारा होती हैं, जातिवाद, साम्प्रदायिकता, न्याय, विकास, जोड़-तोड़, देशभक्ति, धर्मनिरपेक्षता, राजनीतिक तिकड़मबाजी, जहर उगलती जुबां की आवारा लहरें उफान पर हैं! जिन खेतों मे हरी-भरी फसलें लहलहाया करती थीं... उन खेतों मे दरारें दिखने लगी हैं! खेत की दरारें पानी मांग रही हैं पर उसे बून्द भी नसीब नहीं हो पा रह है ! न सरसों का पीलापन दिखता न अलसी की महक आ रही है! खेत उजाड़ और अनाज के गोदाम खाली हो रहे हैं! पालतु पशुओं को हरा चारा क्या सूखा तिनका भी नहीं मिल रह है! बाजार मे बे-मौसम कच्चे-पके आम जरूर बिक रहे हैं पर बेचने वालों को इस बात का तनिक भी एहसास नहीं कि आखिर आम के बौर मुरझाने क्यों लगे हैं...?  इन दिनों एक

" हुदहुद को "कठफोड़वा" समझने की भूल ...! "

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दोपहर  का समय ढल चुका था, सूर्य की किरणें तिरछी पड़ने लगी थी! मुझे हल्का बुखार लग रहा था, इसका अहसास मुझे घर से निकलने के पहले ही प्याज़ की बदली गंध ने करवा दिया था! सुकून पाने की फ़िराक में मै हरियाली के बीच पहुँच गया! गुनगुनी हवाएं चल रही थी, चिड़ियों का चहचहाना भी जारी था! हल्की गर्माहट के साथ ही नमीयुक्त जगहों पर राहतभरी ठंडकता महसूस होने लगी थी! अचानक मेरे कानों में ठक... ठक... ठक.... की आवाज आने लगी! मैं आवाज वाली आसमानी दिशा की ओर काफी देर तक गौर किया! मशक्कत बाद मैंने देखा, वृक्ष की टहनियों के नीचे तने पर एक लम्बी और नुकीली चोंच वाला पक्षी बैठा है और बार-बार तने पर अपनी चोंच से वार कर रहा है, ठक...  ठकठक.... ठक... की आवाज़ चोंच की चोट से आ रही थी! मै बड़ी उत्सुकता से उसे देखे जा रहा था! काले और सफ़ेद रंग के संयोजन वाला वह पक्षी था! तने की सूखी छाल छिलकर शायद वह कीड़े-मकोड़ों को खाए जा रहा था! मैंने गौर किया कि जब वह पक्षी चोंच की चोट नहीं कर रहा तो भी ठक... ठक... ठक.... की आवाज आती रही! मैने अपनी नजरें दौड़ाई, कुछ दूरी से ही एक नाटे कद और भरे बदन वाला काला सा व्यक्ति दरख्तों सहित मोटे