" भई, आखिर ये क्या बात हुई ....??? "

मै नई टी शर्ट और नई पैंट पहनकर घूमने निकला! सुबह से शाम हो गई पर किसी ने भी " यू आरलुकिंग स्मार्ट " जैसी बात नहीं की ! सात बजते-बजते बतौर इंसानी फितरत मैंने एक से पूछ ही लिया " ये शर्ट-पैंट कैसी लग रही है? " जाहिर है, जवाब सकारात्मक ही मिला! जबरदस्ती के इस सुकून का अहसास जरुर किया, क्षणिक आनंदित रहा पर अगले ही पल मैं सोचने लगा- भई, ये क्या बात हुई कि किसी ने कह दिया ' अच्छे लग रहे हो ' तो मै खुश हो गया और कोई कह दिया ' तुम्हारी ड्रेस ठीक नहीं है ' तो मैं दुखी हो जाऊं...! क्यों भई...? मैंने तो ठान लिया है, किसी से अब इस तरह तो पूछना ही नहीं है ! हाँ, कोई अपने से पूछ ले तो बात अलग है! कुल जमा सब महसूस करने की बात है मित्रों! मैं तो अब फटी चप्पल और पाजामे में भी ठीक उसी तरह महसूस करने लगा हूँ जिस तरह नए कपडे पहनकर होता है! अब देखता हूँ " हर दिन होली और हर दिन दिवाली " कैसे नहीं होती है! मेरे लिए तो अब हर दिन उत्सव है! मित्रों, क्या आप भी मनाना चाहते हैं ऐसा उत्सव ???

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