लाल सांड निकला दस हजारी..




बिना दुन्दुभी बजे आज सुबह दो सांड में जंग छिड़ गई. इस बीच कोई गाय दूर-दूर तक कहीं नज़र नहीं आ रही थी किन्तु ये सांड  पता नहीं किस बात से  एक दूसरे पर गुस्सा करते हुए अचानक भिड गए थे. ज़गह ऐसी थी कि दोनों लड़ाई छोड़ भाग नहीं सकते थे इसलिये घेरे में ही रहकर लड़ना दोनों की मज़बूरी हो गई थी. सैकड़ों की संख्या में सोमवार २३ जनवरी की सुबह नौ बजे से नगर  के जय स्तम्भ चौक में करीब दो घंटे तक लोगों ने इन सांडों  की लड़ाई का भरपूर आनन्द उठाया. इस लड़ाई में एक अवसर ऐसा भी आया कि इनमें से लाल वाला सांड उछलकर पार्किंग के घेरे का दायरा लांघने का प्रयास भी किया किन्तु तमाशबीनों ने सांड के प्रयास को असफल बना दिया. इसी लाल सांड पर एक सेठ मित्र ने अगले के साथ दस हज़ार रुपये का दांव लगा दिया था. लड़ते-लड़ते ज़ब लाल सांड एक बार भागने लगा था तो दांव लगाने वाले की घिग्घी बंद होने लगी थी.  भोलेनाथ ने अंतत:  उसका साथ दिया,  कुछ देर की लड़ाई और चली..फिर अब की बार लाल वाला नहीं बल्कि चितकबरा सांड उलटे पांव भाग खड़ा हुआ. इस तरह से लाल वाला सांड दस हजारी निकला. दांव लगाने वाला तो दस हज़ार पा गया पर सांडों की लड़ाई थम नहीं पाई. जय स्तम्भ चौक से पुनः चितकबरे के पीछे भागते हुए लाल सांड ने उसे मानव मंदिर के पास रोक लिया.इसी दौरान भीड़ से " शांत हो जाओ भोलेनाथ.....शांत " की आवाज़ भी आने लगी थी.   कुछ  देर की लड़ाई बाद ये सांड  पीछे ' बग्गा ' गांजा गली होते हुए पुराना अस्पताल रोड पहुँच गए. सांडों के पीछे जय स्तम्भ की पूरी भीड़ चल रही थी. कोई, " खेलने दो- खेलने दो" चिल्ला रहा था, कोई डंडा लहरा रहा था तो कोई इन पर गिलास-गिलास पानी फेंक रहा था. तकरीबन बीस से पच्चीस मिनट तक इनकी जंग और चली. लोगों ने भरपूर मज़ा लिया. सांडो की लड़ाई समाप्त होने के बाद धीरे से भीड़ भी छंट गई.

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