बचपन से यह कैसा खिलवाड़..?

मै एक सज्जन से मिलने उनके घर गया . बेल बजाई तो एक नन्हा बालक बाहर आया , कहने लगा --"तिनथे   मिलना है ." मैंने पूछा-" पापा हैं ?" बालक अन्दर जाते हुए कहनें लगा -"देथ ते आता हूँ ." लौटा और कहनें लगा -" पापा तह लहे हैं ति वो धर पल नहीं हैं ." बालक के भोलेपन ने सारा वाकिया बयां कर दिया . मैं लौटनें लगा तो बालक की पुनः पीछे से आवाज़ आई -" अंतल दी छोप-छुपारी था लिदिये ." मै जाते-जाते सोंचने लगा " कितना संस्कारी है, ये बालक !!!
पर उसके भोलेपन के साथ आखिर यह कैसा खिलवाड़ ?????

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