तख़्त बदल दो, ताज बदल दो........
' रामपाल' को ज्यादा नहीं तकरीबन साल भर से नेतागिरी का बड़ा शौक चर्राया...पहले वह छात्र राजनीति करता था. उस समय ज्यादा प्रचार-प्रसार की ज़रूरत भी वह महसूस नहीं करता था. अब वह कालेज के मैदान से निकल समाज व दिन-दुनिया के खुले मैदान में कमर कसकर पूरे जोश-खरोश के साथ उतर चुका है. प्रिंट मिडिया से उसे बड़ी शिकायत है. वो कितना ही अच्छा काम करे कोई भाव ही नहीं देता. स्थापित जनप्रतिनिधियों को छींक भी आ गई तो मयफोटो अखबारों में स्थान मिलने से ' सदाशिव' भी काफी कुपित रहता था. मरीजों को अस्पताल में सड़े-गले फल बाँट कर फल की कीमत से अधिक की फोटो खिंचवाने वालों को मुख्य पेज में जगह दिया जाना ' ओंकारनाथ ' को कभी रास नहीं आया. जनहित की बड़ी से बड़ी खबरों को मगरमच्छ की तरह निगल जाने की प्रवृत्ति ' सुदर्शन ' को आज भी सालते आ रही है. रामपाल, सदाशिव, ओंकारनाथ और सुदर्शन जैसे दुनिया के करोडो लोगों को अब साइबर क्रांति ने फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब के रूप में अपना खुद का एक पूरा अखबार ही दे दिया है. अपनी अभिव्यक्ति मयफोटो, विडियो देश-दुनिया के सामने प्रकाशित कर सकते है. इसमे कोई संदेह नहीं कि इन माध्यमों से पूरी एक " साइबर फौज " खड़ी हो गई है जो तख्ता पलट का माद्दा रखती है.हाल ही के जनआन्दोलनों में आवाज़ उठाने वाले वर्ग ने फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब के सहारे अपने आंदोलनों और सरकारीतंत्र के दमनकारी क्रियाकलाप के लाइव विडियो और अघतन जानकारियों को देश- दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाकर जनमत तैयार किया. सोशल मीडिया के रूप एक नई शक्ति ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है. लोग अभी यह नहीं भूल पाए है कि पिछले साल साइबर फौज ने ही मिश्र के तानाशाह होस्नी मुबारक का तख्ता पलट कर रख दिया.
ji haa ye sahi kaha aapne..par abhi bhi khud ko pehchana jaana baaki hai..warna bharat ki tasweer badal hi gai hoti ab tak..
ReplyDeleteapko shubhkamnae aise lekhan k lie
svadh ji...samay ke sath parivartan sambhav hai. baharhal shukriya aapka.
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