आखिर कहाँ गई वो गुरुता....?
प्रायः रेडियो और भाषणों में सुनने और लेखों व किताबों में पढ़नें मिलता है कि प्राचीन भारत में नारी का स्थान बहुत ऊँचा था और मुस्लिम आक्रमण के बाद नारी का स्थान नीचे गिरा. एकदम प्राचीन यानि वैदिक युग में नारी का स्थान बहुत ऊँचा था. भारत प्राचीन काल से अनेक मायने में महान रहा है. इसी भारतीय समाज में गणिकाओं का भी उल्लेख मिलता है . भारतीय नारी के आर्थिक अधिकार, महाभारत व रामायण काल में नारी का स्थान, संस्कृति व साहित्य की अश्लीलता , शुद्र और नारी का चित्रण , वर्ण और जातियां हिन्दू विवाह , सामाजिक तथा सांस्कृतिक, शिक्षा , चिकित्सा, विज्ञान निहितार्थ की बातें समय - काल के अनुसार परिवर्तित होती रही है. आध्यात्म और विश्व शांति के प्रयासों के लिए भारत को विश्वगुरु की संज्ञा भी दी जा चुकी है. यहाँ एक पढ़ी हुई चार पंक्तियाँ प्रासंगिक है - " भगवान ने मेहनतकश लोगों को भेज दिया... ,अमेरिका ,रूस और जापान...., विश्व को एक नई दिशा देने...., सारे बुद्धिजीवियों को भेज दिया हिंदुस्तान." लेकिन कहाँ गई भारत की वो गुरुता....? आज भारत का तंत्र अतिवादियों के इशारे पर चलने लगा है. दुनिया के मंदिर में हमारा भारत एक ग्रन्थमात्र होकर रह गया है. विश्व समुदाय का एक शासक " अमेरिका " और सारे देश उपासक हो गए है. पता नहीं, मुझे क्यों ऐसा लगता है कि कलयुग में हम सब मशीन हो गये है. दो हाथ, दो पैर, दो आँख से परिपूर्ण शरीर में मस्तिष्क होते हुए भी हम कितने हीन हो गए है...????
मौजूदा मशीनीकरण के दौर पर चिंतन प्रस्तुत करती पोस्ट।
ReplyDeleteबढिया प्रस्तुति।
shukriya atul ji.
ReplyDeleteबहुत अच्छा राजेश शर्मा जी
ReplyDeletedhanyawad barua ji.
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