" पालक का पेट भरती चिडिया "

भक्तिभाव का माहौल था। देवी भक्तिगीत की गूंज हो रही थी। नारियल,अगरबत्ती, लाल चूनरी, से लेकर देवी साजो-सामान की दुकानें कतारबद्ध सजी हुई थी। बीच-बीच में 'चइय्या...चइय्या, दो में एक फ्री.....दो में एक फ्री., देखिए जादू....पलक झपकते ही लड़की गायब, आओ-आओ...खाओ-खाओ, बनारस का पेड़ा टाइप की आवाजों से भरी भीड़ थी। " एक छोटा बच्चा नीली जिंस और काली टी शर्ट पहने मिला है, अपना नाम विपिन और पिता का नाम रामसेवक ही बता पा रहा है। इस बच्चे के माता-पिता या पहचानकर्ता पुलिस सहायता केन्द्र, नीचे मंदिर डोंगरगढ़ से संपर्क करें....!!!" का एनाउन्स भी ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से होता रहा। विक्रय किये जाने वाले विभिन्न पदार्थों के विज्ञापन की तेज आवाजों से भरी भीड़ का हिस्सा मै भी था। मैने भीड़ में देखा कि कुछ पुलिस वाले दो युवकों को पकड़कर पीटते हुए ले जा रहे थे। एक जवान ने बताया कि ये साले शातिर हैं और भीड़ का फायदा उठाते हुए देवी दर्शनार्थियों की जेबें टटोल रहे थे। ये नजारा देख मैं आगे बढ़ा। पीछे से आने वाली आवाज " सोंचा काम बनेगा कि नहीं...,नौकरी... ग्रहदशा की जानकारी....यह...