तो क्या इस बार रावण को दफनाना पड़ेगा …???"
नौ दिनों तक माँ शक्ति की पूजा-अर्चना के बाद अष्टमी हवन के साथ ही दशहरा मनाने लोग उत्सुक हैं! 'राम' दल रावण बनाने में जुटा है! विशालकाय रावण बनाया जा रहा है! रावण बनाने वाले 'रामों' में आज अचानक रावणप्रेम कुछ इसतरह छलकने लगा था जैसे अब-तब 'रामों' में रावणत्व जागने ही वाला हो! एक 'राम' कह रहा था-" बारिश की समाप्ति और ठण्ड की शुरुआत के इस मौसम का असर रावण को भी हो गया है! उन्हें सर्दी-खांसी की शिकायत हो गई है! वैसे भी ऐसे मौसम में ज्यादा कढ़ी खाने से नज़ला हो ही जाता है, फिर रावण भी तो कढ़ीप्रेमी रहे हैं! डाक्टर ने कोक, फेंटा, लिम्का, माज़ा, पेप्सी अचार, चटनी, इमली, संतरा, नीबू. दही आइसक्रीम जैसी चीज़ों से परहेज करने कहा है!" दूसरा 'राम' कहाँ शांत रहने वाला था, कहने लगा-" तभी मैं सोचूं, ये हजारों का विज्ञापन बोर्ड कैसे ख़राब हो गया, सभी नाक से एक साथ जब बहेगा तो बिन बारिश न सिर्फ बरसात होगी बल्कि बाढ़ भी आएगी!" रामदल में इस बात पर बहस छिड़ गई कि आखिर रावण को सर्दी-खांसी कैसे हो गई? इसकी वजह कोई अंदरुनी वंशानुगत एलर्जी तो कोई धूल-धुंआ-धुंध जैसे उद्दीपकों को बताने से नहीं चूक रहा था! तीसरे 'राम' का सवाल कम मजेदार नहीं था, कहने लगा- " जलाने से तो हर बार रावण जिन्दा हो जाता है फिर उसे सर्दी भी तो है, तो क्या, इस बार रावण को दफनाना पड़ेगा …???" तकरीबन इसी दरमियाँ एक बुजुर्ग की आमद हुई! बन रहे रावण को देख वे कहने लगे-" ये क्या पेटू किस्म का बेडौल रावण बना रहे हो, अरे रावण तो ऊँचे कद, तीखे नाक नक्श, और लम्बे बालों वाले थे! उनके ललाट की चमक बताती थी कि वे महाज्ञानी, तंत्र साधक, बेहद आकर्षक, सभी शास्त्रों के जानकार और श्रेष्ठ विद्वान थे! उन्हें तो भगवान राम ने त्रेतायुग में एक ही बार मारा था, तब से लेकर अब तक रामरूप धरे बहुरूपिये 'रावण' ही रावण को मारते आ रहे हैं!" इतना सुनते ही 'रामों' का रावणप्रेम काफूर हो गया! " जय हो। …!!! "
बहुत बढ़िया शर्मा जी...पहली बार आपके ब्लॉग तक आया अच्छा लगा..और ये जानकार और अच्छा लगा आप आस पास के हैं...मेरे ब्लॉग पर स्वागत है आपका..
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बातें होती रहेगी आपसे..
" शुक्रिया भाई जी, आपसे जरूर बातें होती रहेगी ! "
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